भारत की बेटियाँ जब विश्व विजेता बनीं
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

“वो मैदान के किनारे खड़े रहे… पर हर जीत के बीचोंबीच उनका सपना धड़कता रहा।”
तो तिरंगे के साथ एक और नाम आसमान में चमक उठा —कोच अमोल मजूमदार।
उन्होंने कैमरे की चमक नहीं माँगी,
उन्होंने सिर्फ बेटियों की आँखों में चमक जगाई।
हर अभ्यास में, हर गलती पर, हर निराशा के क्षण में वो बस एक वाक्य कहते रहे —
“तुम कर सकती हो, बस खुद पर भरोसा रखो।” और यही भरोसा आज इतिहास की सबसे बड़ी जीत बन गया।
कितना बड़ा दिल चाहिए किसी को ये सिखाने के लिए कि जीत शोर से नहीं, सच्चे समर्पण से मिलती है।
अमोल सर ने सिर्फ एक टीम नहीं बनाई,
उन्होंने एक सोच गढ़ी —कि भारत की बेटियाँ अब पीछे नहीं, आगे हैं,कंधे से कंधा, दिल से दिल।
हर खिलाड़ी के आत्मविश्वास में उनका धैर्य झलकता है,
हर रन में उनका दृष्टिकोण,
हर विजय में उनका आशीर्वाद।
“कुछ लोग ट्रॉफी नहीं उठाते,
पर उनके बिना ट्रॉफी उठ ही नहीं सकती।
धन्यवाद, अमोल सर
आपने बेटियों को सिर्फ क्रिकेट नहीं सिखाया —
आपने उन्हें भारत का गर्व बनना सिखाया।
आज ये जीत जितनी बेटियों की है,
उतनी ही आपके सपनों, आपकी तपस्या और आपकी निष्ठा की भी है।
जय हो उस गुरु की,
जिसने बेटियों के ज़रिए भारत को विश्व विजेता बना दिया!
मेरी ओर से आपको बहुत बहुत बधाई ।
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