कुपोषित बच्चों के समुदाय आधारित प्रबंधन को जिले की आंगनबाड़ी व आशा कर्मियों को दिया जा रहा प्रशिक्षण 

कुपोषित बच्चों के समुदाय आधारित प्रबंधन को जिले की आंगनबाड़ी व आशा कर्मियों को दिया जा रहा प्रशिक्षण

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‘संवर्द्धन ’ कार्यक्रम अति गंभीर कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने में बनेगा सूत्रधार:
लगभग 90 फीसद अति गंभीर कुपोषित बच्चे समुदाय आधारित देखभाल से हो सकते हैं स्वस्थ:
अति गंभीर कुपोषित बच्चों में मृत्यु की संभावना सर्वाधिक:
संवर्द्धन कार्यक्रम के लिए राज्य के 5 महत्वाकांक्षी जिलों में शामिल है कटिहार:
आई.सी.डी.एस. एवं स्वास्थ्य विभाग की पहल पर पिरामल स्वास्थ्य एवं यूनीसेफ सहित स्टेट सेंटर फॉर एक्सिलेंस (पीएमसीएच) एवं केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के सहयोग से स्वास्थ्य कर्मियों को दी जा रही जानकारी

श्रीनारद मीडिया, कटिहार (बिहार):


कटिहार जिले में बच्चों के कुपोषण से बचाव और प्रबंधन हेतु जिला आईसीडीएस एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा ‘संवर्द्धन कार्यक्रम’ चलाया जा रहा है। इसके तहत यूनिसेफ एवं पिरामल स्वास्थ्य के सहयोग से जिले के चयनित आंगनबाड़ी केंद्र के पोषक क्षेत्रों में कुपोषित बच्चों के समुदाय आधारित प्रबंधन कार्यक्रम को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में क्रियान्वयन किया जाना है। जिले में संवर्द्धन कार्यक्रम को जमीनी स्तर पर लागू करने हेतु सभी प्रखंडों के चिह्नित स्वास्थ्य एवं आईसीडीएस कर्मियों का प्रशिक्षण कराया जा रहा है। इसके लिए जिले के सभी प्रखंड से संवर्द्धन कार्यक्रम अंतर्गत चिह्नित 06 आंगनबाड़ी केंद्रों की सेविका एवं आशा को अलग-अलग दिन दो दिवसीय प्रशिक्षण दिया जा रहा है। बुधवार को जिले के कटिहार सदर (ग्रामीण), प्राणपुर व डंडखोरा प्रखंड की चिह्नित आंगनबाड़ी सेविका व आशा कर्मियों के प्रशिक्षण की शुरुआत प्रखंड सभागार, प्राणपुर में आईसीडीएस सीडीपीओ माधवी लता द्वारा की गई। प्रशिक्षण में प्रशिक्षक के रूप में यूनिसेफ तथा पूसा एग्रीकल्चर की ओर से केशव कुणाल तथा कमल किशोर द्वारा सभी स्वास्थ्य कर्मियों को कुपोषित बच्चों की पहचान करते हुए उन्हें सुपोषित करने की जानकारी दी गई।

सिर्फ 10-15 फीसद अति गंभीर कुपोषित बच्चों को संस्था आधारित देखभाल की होती है जरूरत:
आईसीडीएस डीपीओ सुगंधा शर्मा ने कहा कि अति गंभीर कुपोषित बच्चों को स्वस्थ करने के लिए उन्हें पोषण पुनर्वास केन्द्रों (एनआरसी) में भेजा जाता है, लेकिन एक अध्ययन से यह ज्ञात होता है कि केवल 10-15 फीसद ही अति-गंभीर कुपोषित बच्चों को एनआरसी में भेजने की जरूरत है। लगभग 90 फीसद बच्चे समुदाय आधारित देखभाल से ही स्वस्थ हो सकते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए संवर्द्धन कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है, जिसमें अति गंभीर कुपोषित बच्चों को समुदाय आधारित देखभाल प्रदान की जाएगी। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बच्चों की लंबाई के अनुसार वजन की पहचान, रोकथाम, प्रबन्धन और बच्चों के भोजन की गुणवत्ता को बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के लिए राज्य के 05 आकांक्षी जिलों में कटिहार भी शामिल है जहां के सभी 16 प्रखंडों से चिह्नित 96 आंगनबाड़ी केन्द्रों में संवर्द्धन मॉडल को मजबूत किया जाएगा जिससे कि 6 माह से 59 माह के बच्चों को लाभ मिल सकेगा।

अति गंभीर कुपोषित बच्चों में मृत्यु की संभावना सर्वाधिक:
प्रशिक्षक के रूप में उपस्थित कमल किशोर ने कहा कि वर्तमान में एन.एफ.एच.एस.-5 के आंकड़ों के अनुसार बिहार में वेस्टिंग 22.9% है। साथ ही राष्ट्रीय पोषण मिशन के लक्ष्य के तहत बच्चों में अल्पपोषण प्रति वर्ष 2 फीसद और एनीमिया के प्रसार को 3 फीसद प्रति वर्ष कम करना है। देश में किये गये विभिन्न अनुसंधानों से इस बात की पुष्टि होती है कि समुदाय आधारित देखभाल बच्चों में कुपोषण से होने वाली मृत्यु की संभावना को कम करती है। इसलिए स्वास्थ्य विभाग एवं आईसीडीएस द्वारा संवर्द्धन कार्यक्रम की शुरुआत की गई है जिससे कि आंगनबाड़ी सेविकाओं व आशा कर्मियों को इसकी जानकारी देते हुए इसे जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन किया जा सके।

3 विभाग मिलकर करेंगे वार, गैर-सरकारी संस्था भी करेंगे सहयोग:
आंगनबाड़ी सेविकाओं व आशा कर्मियों को प्रशिक्षण देते हुए संवर्द्धन कार्यक्रम पूसा के जिला समन्यवक केशव कुणाल ने कहा कि इस कार्यक्रम को सफ़ल बनाने के लिए आईसीडीएस एवं स्वास्थ्य विभाग मिलकर कार्य करेंगे। स्वास्थ्य विभाग दवाओं की उपलब्धता, वीएचएसएनडी सत्र पर अति गंभीर कुपोषित बच्चों का पंजीकरण और स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना एवं एनआरसी से छुटे बच्चों को समुदाय आधारित देखभाल से जोड़ने का कार्य करेगी। वहीं आईसीडीएस शत प्रतिशत बच्चों की स्क्रीनिंग, आंगनबाड़ी केन्द्रों पर वृद्धि निगरानी उपकरणों की उपलब्धता, टीएचआर का वितरण एवं घर पर ऊर्जायुक्त भोजन बनाये जाने को बढ़ावा देने जैसे कार्यों को करेगी। संवर्द्धन कार्यक्रम को सफल बनाने में पिरामल स्वास्थ्य, यूनिसेफ, स्टेट सेंटर फॉर एक्सिलेंस (पीएमसीएच), डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा एवं नेशनल सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस (केएससीएच) सहयोग कर रहे हैं। यह कार्यक्रम 5 चरणों में आगे बढ़ाया जा रहा है जिसमें कार्यक्रम का जिला स्तरीय शुभारम्भ, क्षमतावर्धन प्रशिक्षण, दवाओं एवं लाजिस्टिक्स की व्यवस्था हो गई है। इसके चौथे चरण के रूप में जिले के चयनित आंगनबाड़ी केन्द्रों पर कार्यक्रम के क्रियान्वयन हेतु प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके पांचवें चरण में कार्यक्रम का पर्यवेक्षण, रिपोर्टिंग एवं समीक्षा की जाएगी।

कार्यक्रम के 10 चरण साबित होगी संजीवनी:
संवर्द्धन कार्यक्रम को कुल 10 चरणों में संपादित किया जाएगा, जिसमें सामुदायिक मोबिलाइजेशन एवं सभी बच्चों की पोषण स्थिति का आकलन, चिकित्सीय जाँच, भूख की जाँच, अति गंभीर कुपोषित बच्चों के प्रबंधन के तरीके, दवाइयां, पोषण, पोषण-स्वास्थ्य शिक्षा, संवर्द्धन कार्यक्रम के दौरान पोषण की निगरानी, कार्यक्रम से छुट्टी देने के बाद फॉलोअप शामिल है। साथ ही समुदाय आधारित देखभाल को मजबूती देने के लिए आरोग्य दिवस, घर पर बच्चों की देखभाल एवं गृह भ्रमण में सेविका एवं आशा द्वारा दी जाने वाली परामर्श को मजबूत किया जाएगा।

 

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