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स्वर कोकिला के स्वर ही नहीं उनकी पूरी जिंदगी रही संजीदगी की संदेश!

स्वर कोकिला के स्वर ही नहीं उनकी पूरी जिंदगी रही संजीदगी की संदेश!

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ख्यात सूर साधिका भारत रत्न लता मंगेशकर को विनम्र श्रद्धांजलि

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

✍️गणेश दत्त पाठक

स्वर कोकिला, स्वर साम्राज्ञी.. क्या क्या नाम नहीं दिए गए, सुर साधिका लता मंगेशकर को। उनकी आवाज ने जिंदगी को समझाया, देश के प्रति सम्मान को जागृत किया, स्नेह के भाव का सृजन किया, गम में दिलासा दिया। आज उनका पार्थिव शरीर नहीं रहा लेकिन उनके स्वर स्नेह, खुशी, गम, देशभक्ति के तराने सदियों तक गुनगुनाते रहेंगे। उनकी जिंदगी के अनेक प्रसंग भी संजीदगी के संदेश देते दिख जाते हैं। मन तो दुखी है, श्रद्धासुमन के लिए शब्द नही मिल पा रहे हैं। परंतु उनकी जिंदगी के कुछ नगमों को हम भी गुनगुना लेते हैं जो संदेश देते हैं जिंदगी का, जो संदेश देते हैं बंदगी का।

अवसर कहीं भी मिल सकता है

लता मंगेशकर का जन्म कलाकारों के घर में ही हुआ था। उनके पिता दीनानाथ थिएटर कंपनी चलाते थे और म्यूजिकल प्ले बनाते थे। एक बार उनके पिता अपने एक शागिर्द को राग पूरिया धनश्री का रियाज करवा रहे थे। बगल में खेल रही लता ने देखा कि शागिर्द ने इस राग का एक नोट गलत पकड़ लिया है तो उन्होंने खेलते-खेलते ही उसे सही करके गाया। उनके पिता ने पीछे मुड़कर देखा और कहा- लो, हमारे घर में ही एक सिंगर है और हमें इसका पता ही नहीं था। बस शुरू हो गया स्वर कोकिला का सफर। इसलिए यह ध्यान रखें कभी भी आपकी प्रतिभा को प्लेटफार्म मिल सकता है। अपने गुणों को तराशते रहें, सकारात्मक रहें।

जिम्मेदारी के बोझ तले बदल दिया रास्ता, जिंदगी में लचीलापन है जरूरी

लता पहले एक्टर बनना चाहती थीं। पिता की मौत के बाद उन पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी आ गई तो उन्होंने गाना शुरू किया। लेकिन इससे पहले वह 8 फिल्मों में एक्टिंग कर चुकी थीं। हालांकि, उनका एक्टिंग करियर खास नहीं रहा, इसलिए भी उन्होंने समय रहते रास्ता बदल लिया और गायिकी में अपना नाम किया। जिंदगी में लचीलापन जरूरी है। समय की नजाकत को पहचानिए और अन्य विकल्पों को भी आजमाइए।

रिजेक्शन से निराश नहीं होना है

जिस तरह अमिताभ बच्चन की आवाज को ऑल इंडिया रेडियो ने रिजेक्ट किया था, उसी तरह लता की आवाज को भी पहले रिजेक्शन ही मिला। तब नूरजहां और शमशाद बेगम जैसी दमदार आवाजों का दौर था। लता को बॉलीवुड में कहा गया कि उनकी आवाज बहुत बारीक है। इससे काम नहीं चलेगा। हालांकि, ये सब इतिहास है और इसके बाद अमिताभ और लता की आवाज का जादू सब ने देखा। इसलिए कभी भी रिजेक्शन से निराश मत होइए।

जब बड़े बड़े नाम पीछे हट गए तो भी लिया रिस्क

1949 में आएगा आनेवाला… गाने ने रातोरात लता को स्टार बना दिया था। लोग इस गाने को गाने वाली आवाज की मल्लिका को ढूंढने निकल पड़े थे। यह भी जान लीजिए कि तब इसे गाने से बड़े-बड़े नाम पीछे हट गए थे।
बात 1962 की है। पूरा देश चीन से जंग हारने के अपमान, गुस्से और दगाबाजी वाली फीलिंग में था। कभी कभी रिस्क लेना भी हो सकता है बेहतर।

भूकंप पीड़ितों की सहायता में रही आगे

लता के नाम पर 1999 में एक परफ्यूम- Lata Eau de लॉन्च किया गया। देश की हीरे बेचने वाली एक कंपनी ने उनके साथ एक कलेक्शन भी निकाला- स्वरांजलि। यह 5 हीरों का सेट था। जब इसकी बोली लगी तो आज की तारीख के हिसाब से 1 करोड़ रुपए आए। लता ने ये सारे पैसे 2005 में कश्मीर में आए भूकंप के राहत और निर्माण कार्य के लिए दे दिए। अगर आप सक्षम हैं तो मानवता की सेवा में न रहें पीछे।

नहीं लिया सरकारी सुविधा का लाभ, दिया एक शानदार संदेश

वह राज्यसभा सांसद भी रही थीं। आज की राजनीतिक संस्कृति के दौर में जब सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाने की होड़ सी लगी रहती है। लेकिन तब भी उन्होंने अपने लिए दिल्ली में सरकारी घर या एक रुपया भी नहीं लिया था।

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