झारखंड में छह मई तक बढ़ा लॉकडाउन, पाबंदियों और छूट में होंगे बदलाव.

झारखंड में छह मई तक बढ़ा लॉकडाउन, पाबंदियों और छूट में होंगे बदलाव.

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शव को लेकर अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाटों में भटक रहे परिजन.

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

झारखंड में कोरोना की लगातार बिगड़ती स्थिति को देखते हुए स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह (लॉकडाउन) को छह मई की सुबह छब बजे तक के लिए बढ़ा दिया गया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बुधवार को स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह एवं राज्य में कोरोना संक्रमण की स्थिति पर आपदा प्रबन्धन प्राधिकार की बैठक में यह निर्णय लिया। उन्होंने पहले से चल रहे लॉकडाउन के नियमों में बदलाव की बात भी कही है। यानी पाबंदियों और छूट में बदलाव किया जा रहा है। अब दुकानें दोपहर दो बजे तक ही खुली रहेंगी। इसे लेकर लोगों को दोपहर 3 बजे तक मूवमेंट करने की इजाजत होगी।

सीएम ने कहा कि राज्य में कोरोना संक्रमण की स्थिति को देखते हुए स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह 6 मई सुबह 6 बजे तक बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के पूर्व के निर्देश में कुछ परिवर्तन किये गए हैं। इसकी विस्तृत जानकारी शीघ्र जारी की जायेगी। सहयोग करें। घर पर रहें, सुरक्षित रहें। इससे पहले 22 से 29 अप्रैल तक एक सप्‍ताह का संपूर्ण लॉकडाउन का ऐलान किया गया था।

सामान्य ऑक्सीजन स्तर वाले संक्रमित जेनरल वार्ड में शिफ्ट किए जाएं 
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में अस्पतालों में ऑक्सीजन युक्त बेडों की काफी किल्लत देखी जा रही है। इसके साथ ये भी जानकारी आ रही है कि जिन संक्रमितों का ऑक्सीजन स्तर सामान्य हो चुका है, उसके बाद भी वे ऑक्सीजन युक्त बेडों का ही इस्तेमाल कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग को कहा कि ऐसे संक्रमितों को चिन्हित कर उन्हें अस्पताल के जेनरल वार्ड में शिफ्ट किया जाए और जिन्हें ऑक्सीजन युक्त बेड की जरूरत हैं, उन्हें उपलब्ध कराया जाए। इसके लिए उन्होंने सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में कम से कम 50 अतिरिक्त सामान्य बेड की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।

विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम बनाएं 
मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से कहा कि वे रिम्स अथवा बड़े निजी अस्पतालों के विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम का गठन करें। यह टीम सदर अस्पताल व अन्य अस्पतालों मे  इलाजरत कोरोना संक्रमित मरीजों के स्वास्थ्य की जांच करेगी और जरूरत के अनुसार बेहतर चिकित्सीय उपचार के सिलसिले में आवश्यक सलाह देगी। यह टीम इस बात की भी जानकारी लेगी कि किन संक्रमितों को ऑक्सीजन युक्त बेड की जरूरत है औऱ किन्हें सामान्य वार्ड में भर्ती कर उपचार किया जा सकता है।

जिलों में बेहतर चिकित्सीय सुविधाएं उपलब्ध हों 
मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी जिलों में कोरोना संक्रमितों को बेहतर चिकित्सीय संसाधन उपलब्ध कराने की दिशा में  समुचित कदम उठाए जाएं। इस सिलसिले में हर बेड तक ऑक्सीजन की उपलब्धता, जीवन रक्षक और जरूरी दवाएं और संक्रमितों तथा उनके परिजनों अथवा सगे संबंधितों की निगरानी की उचित व्यवस्था हो, ताकि उन्हें संक्रमण से बचाया जा सके।

कॉरपोरेट जगत से लें सहयोग 
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि राज्य में अवस्थित उद्योगों से कोरोना महामारी से लड़ाई के लिए सहयोग लेने के लिए कदम उठाएं। इसके तहत कोविड डेडिकेटेड अस्पताल समेत अन्य जरूरी चिकित्सीय संसाधन वे उपलब्ध कराएं, ताकि राज्य में कोरोना संक्रमितों को उपचार के सिलसिले में परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े। कॉरपोरेट जगत से सहयोग लेकर कोरोना संक्रमण को रोकने की दिशा में मदद  मिल सकेगी।

बैठक में स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता, मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, विकास आयुक्त -सह -स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, प्रधान सचिव  अजय कुमार सिंह, सचिव विनय कुमार चौबे, सचिव पूजा सिंघल और सचिव  अमिताभ कौशल उपस्थित थे।

कांडी थाना क्षेत्र अंतर्गत पतरिया पंचायत के हेमराजी गांव निवासी समझावन साह का 42 वर्षीय पुत्र कामेश्वर शाह के शव का अंतिम संस्कार पंडी नदी और सोन नदी के तट पर करने से ग्रामीणों ने रोक दिया। परिजन शव के साथ अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाटों में भटकते रहे। बताया जाता है कि उसकी मौत पेट की बीमारी व सांस लेने में तकलीफ से हुई थी।

मिली जानकारी के अनुसार टेढ़ा नदी के समीप सतबहिनी रोड में बिहार से आया एक एंबुलेंस घंटों खड़ा था। शव के साथ एम्बुलेंस का काफी देर से खड़ा देख डेमा सहित अन्य गांवों के ग्रामीण संतोष राम, राजेश्वर रजवार, नरेश रजवार, उमेश चंद्रवंशी, रूपेश कुमार सिंह, मंदिस राम, सुखाड़ी रजवार, पवन राम समेत दर्जनों ग्रामीण वहां पहुंचे और पूछताछ शुरू कर दी।

उस दौरान एंबुलेंस के कर्मी किसी भी तरह की जानकारी देने से कतराते रहे। घंटों बीतने के बाद ग्रामीणों का शोरगुल सुनकर मृतक के परिजन उक्त वाहन के पास पहुंचकर विरोध जता रहे ग्रामीणों को जानकारी दी। मृतक के परिजनों ने बताया कि बुधवार सुबह बिहार के नावाडीह गांव में कामेश्वर शाह के पेट में अचानक दर्द होने पर उन्हें इलाज के लिए डेहरी ले जाया गया था। वहां के डॉक्टरों ने इलाज करने के बाद यह कहकर रेफर कर दिया गया की इनको सांस लेने में तकलीफ हो रही है।

रेफर के बाद परिजन उसे लेकर रांची जा रहे थे तभी रास्ते में ही औरंगाबाद में कामेश्वर की मौत हो गई। उसके बाद उसे यहां लाया गया। उधर ग्रामीणों को आशंका थी कि कामेश्वर की मौत कोरोना से हुई है। उक्त कारण शव को यहां जलाने नहीं देंगे। डेमा गांव के ग्रामीणों के विरोध के बाद उक्त शव को पुलिस संरक्षण में सोनपुरा गांव के सामने स्थित सोन नदी तट पर ले जाया गया लेकिन वहां भी अंतिम संस्कार को लेकर ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा।

मामले में थाना प्रभारी नीतीश कुमार ने कहा कि उक्त शव को सोन नदी में जलाने का भी स्थानीय ग्रामीणों की ओर से विरोध किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बीडीओ से मामले में बात हुई है। उनसे अनुरोध किया गया है कि संदेहास्पद स्थिति में मौत के बाद दाहसंस्कार के लिए श्मशान घाटों का चयन कर आदेश निकाला जाए। समाचार लिखे जाने तक शव का अंतिम संस्कार नहीं किया जा सका था। पुलिस ग्रामीणों को समझाने का प्रयास कर रही थी।

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