क्या है टूलकिट विवाद, मैनिपुलेटेड मीडिया किसे कहते हैं?

क्या है टूलकिट विवाद, मैनिपुलेटेड मीडिया किसे कहते हैं?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

क्या होती है टूलकिट?

टूलकिट को आसान भाषा में समझें तो एक प्रकार का गूगल डॉक्यूमेंट है। जिसमें विस्तार से किसी खास मुद्दे के बारे में बताया जाता है। डिजीटल प्लेटफॉर्म के जरिये किसी खास मुद्दे को हवा दी जाती है और उसका दुष्प्रचार किया जाता है। इस किट में एक्शन प्वाइंट्स लिखे जाते हैं, ताकि कोई भी इंसान उसको फॉलो करके आंदोलन के साथ जुड़ सकता है। इसमें कैंपेन स्ट्रैटजी के अलावा किसी आंदोलन या प्रदर्शन को कैसे किया जाए इसके तहत जानकारी दी जाती है।

इस पूरे विवाद में कब क्या हुआ

18 मई: बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा की तरफ से एक स्क्रीन शॉट शेयर करते हुए कांग्रेस पर गंभीर सवाल उठाए। बीजेपी नेता की ओर से कहा गया कि कांग्रेस टूलकिट के जरिये कोरोना मैनेजमेंट को लेकर पीएम मोदी की छवि को धूमिल करना चाहती है। कांग्रेस ने तुरंत इसका विरोध करते हुए इसी फर्जी बताया था।

20 मई: टूलकिट मामला सुर्खियों में ही था कि ट्विटर की तरफ से संबित पात्रा के ट्विट पर मैनिपुलेटेड मीडिया का टैग लगा दिया।

21 मई: बीजेपी के विनय सहस्त्रबुद्दे, प्रीति गांधी, सुनील देवधर, चारु प्रज्ञा, कुलजीत सिंह चहल की पोस्ट को भी मैनिपुलेटेड मीडिया की -वर्ड से टैग कर दिया गया।

22 मई: केंद्र सरकार की तरफ से ट्विटर को इस तरह की टैगिंग हटाने की हिदायत दी गई। सरकार ने कहा कि टूलकिट मामले की जांच की जा रही है और इस तरह की टैगिंग से ट्विटर जांच से पहले अपना फैसला सुना रहा है।

24 मई: दिल्ली पुलिस की ओर से ट्विटर इंडिया के एमडी मनीष माहेश्वरी को नोटिस भेजा। उनसे टूलकिट मामले से जुड़े दस्तावेज लेकर स्पेशल सेल के दफ्तर में मौजूद रहने को कहा गया। उन्हें 22 मई को भी पुलिस के सामने जाना था, पर माहेश्वर ने यह कहकर पुलिस के दफ्तर जाने की इनकार कर दिया कि वो इस मामले में अथॉरिटी नहीं है।

दिल्ली पुलिस की कार्रवाई

दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने कथित ‘कोविड टूलकिट’ मामले की जांच के संबंध में ट्विटर इंडिया को सोमवार को नोटिस भेजा और दो उसकी टीमें दिल्ली और गुड़गांव स्थित माइक्रोब्लॉगिंग साइट के दफ्तर पहुंचीं। दिल्ली पुलिस के जन संपर्क अधिकारी चिन्मय बिस्वाल ने बताया, ‘‘दिल्ली पुलिस की टीमें सामान्य प्रक्रिया के तहत ट्विटर इंडिया को नोटिस देने के लिए उसके दफ्तरों में गयी थीं। इसकी जरुरत इसलिए पड़ी क्योंकि वे जानना चाहते थे कि नोटिस देने के लिए सही व्यक्ति कौन है क्योंकि ट्विटर इंडिया के एमडी की ओर से मिला जवाब बिलकुल सटीक नहीं था।

ट्विटर किसे मैनिपुलेटेड मीडिया कहता है?

ट्विटर के अनुसार किसी भी मीडिया (ऑडियो, वीडियो और इमेज) को मैनिपुलेटेड मीडिया कहता है जिसे भ्रामक रूप से बदल दिया गया ह या फिर उसे हेरफेर कर के बनाया गया हो। किसी भी ट्वीट को इस कैटेगरी में तब लेबल किया जाता है , जब उससे “नुकसान पहुंचने” की संभावना हो।

मैनिपुलेटेड की कैटेगरी में कैसे रखा जाता है

ट्विटर के अनुसार वह कई टेक्नालॉजी का इस्तेमाल करता है और कंटेट को लेबल करने के लिए एक्सपर्ट ह्यूमन का भी रिव्यू लिया जाता है। कंपनी ने अपने ब्लॉग पोस्ट में कहा है कि किसी भी मीडिया को महत्वपूर्ण रूप से भ्रामक रूप में बदला गया है या गढ़ा गया है। इस बात की जानकारी प्राप्त करने के लिए हम अपने तकनीक का इस्तेमाल करते हैं या थर्ड पार्टी के साथ साझेदारी के साथ रिपोर्ट को प्राप्त कर सकते हैं। ट्विटर ऐसे कंटेट को रिव्यू करने के बाद उससे होने वाले संभावित नुकसान के आधार पर, या तो सामग्री को लेबल करता है या उन्हें प्लेटफॉर्म से हटा देता है। इसके अलावा कंपनी ऐसी कंटेंट की विजिबिलिटी भी कम करती है, और यूजर्स को चेतावनी देती है कि “बार-बार उल्लंघन” के कारण उनके खाते स्थायी रूप से निलंबित हो सकते हैं।

क्या कार्रवाई होती है?

मैनिपुलेटे कंटेट को लेकर कंपनि की ओर से देखा जाता है कि इससे किस हद तक नुकसान पहुंचने की आशंका है। इसी के आधार पर कंटेट पर मैनिपुलेटेड का लेबल लगाया जाता है या फिर उसे प्लेटफॉर्म से हटाया जाता है।

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