जातियों की गिनती नहीं होगी तो पिछड़े- अतिपिछड़े,दलित और अल्पसंख्यक करें बहिष्कार-लालू प्रसाद.

जातियों की गिनती नहीं होगी तो पिछड़े- अतिपिछड़े,दलित और अल्पसंख्यक करें बहिष्कार-लालू प्रसाद.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बिहार में जातीय जनगणना की मांग को लेकर रोज बयानबाजी हो रही है। कभी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) तो कभी सत्ता रुढ़ दल जनता दल यूनाईटेड (JDU) के नेता मांग कर रहे हैं। वहीं, भाजपा ने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है। RJD सुप्रीमो लालू यादव ने सोशल मीडिया के जरिए एक बार फिर मांग की है। लिखा है- “जनगणना के जिन आंकड़ों से देश की बहुसंख्यक आबादी का भला नहीं होता तो फिर जानवरों की गणना वाले आंकड़ों का क्या हम अचार डालेंगे?’

साथ ही चेतावनी देते हुए लिखा है- “अगर 2021 जनगणना में जातियों की गणना नहीं होगी तो बिहार के अलावा देश के सभी पिछड़े- अतिपिछड़े के साथ दलित और अल्पसंख्यक भी गणना का बहिष्कार कर सकते हैं’।

दलित और मुस्लिम को भी जागरूक करेंगे

अब तक कहा जा रहा था कि जातीय जनगणना से पिछड़े-अतिपछड़े को ही सबसे ज्यादा फायदा होगा। लालू यादव और नीतीश कुमार दोनों इन्हीं जातियों से आने वाले नेता हैं, लेकिन अब लालू ने दलितों और अल्पसंख्यकों को भी इसको लेकर जागरूक करने का मन बनाया है। यानी, भाजपा के विरोध का दायरा बड़ा किया जाएगा।

बहुसंख्यक आबादी एकजुट हुई तो भाजपा घिर जाएगी

लालू यादव की रणनीति है कि 90 फीसदी आबादी को जातीय जनगणना के सवाल पर एकजुट किया जाए। नीतीश कुमार और लालू प्रसाद तो इस पर एकजुट हैं ही। इतनी बड़ी आबादी भाजपा के सामने अड़ गई तो भाजपा को झुकना पड़ सकता है। भाजपा को मालूम है कि अगर वह जिद पर अड़ी रही तो इसका असर वोट बैंक पर पड़ सकता है।

तेज प्रताप ने भी पूछा सवाल

नेता प्रतिपक्ष और लालू प्रसाद के बेटे तेज प्रताप यादव ने पूछा है- “पिछड़ा- अतिपिछड़ा विरोधी मोदी सरकार देश की पिछड़ी- अतिपिछड़ी जातियों की गणना कराने से क्यों डर रही है? क्या इसलिए कि हजारों पिछड़ी जातियों की जनगणना से यह ज्ञात हो जाएगा कि कैसे मुट्ठी भर लोग युगों से सत्ता प्रतिष्ठानों और देश के संस्थानों व संसाधनों पर कुंडली मार बैठे हैं?”

लालू की चाहत- चिराग और तेजस्वी मिलकर काम करें

लालू प्रसाद ने पहले ही कहा है कि चिराग पासवान और तेजस्वी यादव को मिलकर काम करना चाहिए। RJD के एमएलसी रामबली सिंह चंद्रवंशी कहते हैं कि पिछड़ी और अतिपिछड़ी जाति की आबादी 60 फीसदी है। इसमें दलितों की 16 फीसदी आबादी और अल्पसंख्यकों, यानी मुसलमानों की भी 16 फीसदी आबादी को जोड़ दें तो यह 90 फीसदी के आसपास होती है। 90 फीसदी आबादी की मांग जाति जनगणना है और भाजपा सरकार इससे पीछे भाग रही है।

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